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आजलोग के दिमाग में कभी ना कभी ये बात जरूर आता होगा की हमारे देश भारत का निर्माण कैसे हुआ होगा |  आज हमलोग इसी विषय पर चर्चा करें गे | उससे पहले आपको दुनिया कैसे बनी ?( महाद्वीपीय बहाव सिद्धांत ) -अल्फ्रेड वेगेनर के बारे में जानना होगा | आप ये ब्लॉग जरूर पढ़िए इससे आपको स्पष्टता होगी की भारत का निर्माण कैसे हुआ | अल्फ्रेड वेगेनर से सबसे पहले बताया था , सभी  महाद्वीपीय एक बड़े से आकार में थे जो अब अलग-अलग टुकड़े में विभाजित हो चुके है , उन्होंने बड़े टुकड़े को पैंजिया ,(pangaea-Greek word means Entire Earth )  और उसके चारो तरफ़ सिर्फ पानी था  जिसे  पैंथलास सागर के नाम से जाना गया | जो 250 मिलियन वर्ष पहले अस्तित्व में था | 

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धीरे धीरे समय बितता गया और पैंजिया दो दुकड़े में बिभाजित हो गये ; इसका कारण अल्फ्रेड ने धरती के निचे फटने  ज्वालामुखी और गरम लावा को बताया | पैंजिया का एक टुकड़ा उत्तर और एक दक्षिण की ओर चला गया जो लॉरेशिया  LAURASIA ) और गोंडवाना ( GONDWANA) के नाम से जाना जाने लगा | दोनों के विभाजित के दौरान बिच में पानी आगया जो एक सागर में परिवर्तन हो गया जिसका नाम टेथीस (Tethys Sea ) रखा गया | गोंडवाना लैंड से विभाजित टुकड़े में अरब ,अफ्रीका , दक्षिण अमेरिका ,अंटार्कटिका ,ऑस्ट्रेलिया और भारत के प्रायद्वीप शामिल थे |   
लॉरेशिया से विभाजित टुकड़े में उत्तरी अमेरिका , ग्रीनलैंड ,यूरोप और हिमालय के अधिकांश एशिया शामिल थे | 

हिमालय का निर्माण कैसे हुआ ?

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आज से करीब 20 करोड़ साल पहले गोंडवाना ( GONDWANA) दो टुकड़े में विभाजित होने लगे एक ईस्ट की ओर चला गया जिसे हम ईस्ट गोंडवाना और एक वेस्ट की ओर जो वेस्ट गोंडवाना के नाम से जाना जाने लगा | आज का भारत , बांग्लादेश , पाकिस्तान ,नेपाल ,श्रीलंका ,भूटान और मेडागास्कर जैसे सभी ईस्ट गोंडवाना के भाग थे | मेडागास्कर के एक भाग नार्थ ईस्ट की ओर आगे बढ़ने लगा और यूरेशियन प्लेट  ( Eurassische plate ) से जा कर टकरा गया | भूगोलिक में जब भी जो दो प्लेट टकराते है तो हिमालये या पठार का निर्माण होता है | जब दो प्लेट ऊपर की ओर टकराते है तो पर्वत और निचे की ओर से पठार का निर्माण होते हैं |  इसी भूगोल बदलाब के कारण  हिमालय का निर्माण हुआ |  

आज भी हिमालय का ऊंचाई बढ़ रहा  | 

वैज्ञानिकों का मानना है की , हिमालय की वृद्धि दर 1 मिलियन प्रति वर्ष से अधिक है | और हिमालय लगभग एक मिलियन वर्षो में 10 km हैं | इसके पीछे कई वैज्ञानिकों ने गुरुत्वाकर्षण का कारण बताया | सबसे पहले अल्फ्रेड वेगेनर ने बताया |  अल्फ्रेड वेगेनर जर्मन के ध्रूवीव शोधकर्ता ,मौसम विज्ञानी ( meterologist ) और भूभौतिकी में अपनी रुचि रखते थे | अपने जीवन काल में उन्हें मौसम विज्ञान के सफलता के लिए प्राथमिकता दी जाती हैं | उन्होंने मौसम जांच के दौरान विश्व के मानचित्र में अजीब आकार देखा | उन्होंने देखा की 29 % दुनिया एक पहेली ( puzzle ) की तरह दिखती है |

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